आर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है जो जोड़ों में दर्द, स्तंभन और संबंधित समस्याओं का कारण बनती है। यह रोग वृद्धावस्था में ज्यादातर देखा जाता है, लेकिन इससे कम उम्र के लोगों में भी हो सकता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की गतिशीलता कम हो जाती है जो उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करती है।
आर्थराइटिस के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम रूप से देखे जाने वाले रूपों में ऑस्टियोआर्थराइटिस और रेव्यूमैटॉइड आर्थराइटिस शामिल हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों की बढ़ती उम्र के कारण होता है, जबकि रेव्यूमैटॉइड आर्थराइटिस शरीर के विस्तारवादी प्रतिरक्षा प्रणाली के खिलाफ होने वाली एक विकार होती है।
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे अर्थरिटिस की समस्या के बारे में एवं उनसे बचने के उपायों के बारे में।

ये हैं अर्थराइटिस के कुछ सामन्य लक्षण
अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जो जोड़ों में दर्द, स्थिरता और सूजन का कारण बनती है। यह बीमारी ज्यादातर बुढ़ापे में देखी जाती है, लेकिन कुछ लोगों को इससे पहले भी होता है। इस लेख में हम अर्थराइटिस के कुछ सामान्य लक्षणों पर चर्चा करेंगे।
- जोड़ों में दर्द: अर्थराइटिस के मरीजों को अक्सर जोड़ों में दर्द होता है, जो उन्हें रोजमर्रा की गतिविधियों में भी परेशान करता है। यह दर्द धीरे-धीरे या अचानक हो सकता है। ज्यादातर मरीजों के लिए दर्द स्थायी होता है और दिन भर में बढ़ता है।
- स्थिरता: अर्थराइटिस के मरीजों को अक्सर स्थिरता की समस्या होती है। यह समस्या उन जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण होती है जो कम उपयोग में होते हैं।
- सूजन: अर्थराइटिस के मरीजों को अक्सर सूजन की समस्या होती है। जोड़ों के आसपास त्वचा सूज जाती है और इन जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है। यह सूजन धीरे-धीरे बढ़ती है और कुछ समय तक बनी रहती है।
- घुटनों या बाएं जांघ में लचीलापन: अर्थराइटिस जोड़ों के लचीलाप में बढ़ सकता है जिससे घुटनों या बाएं जांघ में लचीलापन या कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
अर्थराइटिस के प्रकार
अर्थराइटिस एक संक्रमण या अंग्रेज़ी में इंफ्लेमेशन (अधिसूचन) की एक समस्या है, जो आपकी जोड़ों को प्रभावित करती है। यह एक दर्दनाक समस्या होती है जो आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ आती है। अर्थराइटिस कई प्रकार के होते हैं।
- ओस्टियोआर्थराइटिस: यह अर्थराइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है। यह जोड़ों के कार्टिलेज में कमी की वजह से होता है। यह आमतौर पर हाथ, घुटने, हिप और बैक में होता है।
- रिव्यूमेटॉइड आर्थराइटिस: यह अर्थराइटिस का अधिकतर प्रचलित प्रकार है, जो शरीर की उत्तरदायित्व की प्रतिक्रिया के कारण होता है। यह जोड़ों के चारों ओर की जांघ, हाथ और लटकनों को प्रभावित करता है।
- गठिया: गठिया एक अन्य प्रकार का अर्थराइटिस है, जो जोड़ों की पड़ोस या अंगों में संक्रमण के कारण होता है। यह आमतौर पर बड़े जोड़ों, जैसे कि घुटने और बाएं और दाएं कलाई के जोड़ों में होता है।
- एन्किलोजिंइंजिटिस आर्थराइटिस: यह अर्थराइटिस का एक अन्य प्रकार है जो आपके स्पाइन (कमर) की अस्थियों को प्रभावित करता है। इसमें, स्पाइन की अस्थियों के बीच संयोजन हो जाता है और इससे आपकी चलने में दर्द होता है।
- ज्यूवेनाइल आइडिओपैथिक आर्थराइटिस: यह अर्थराइटिस का एक और प्रकार है जो बच्चों और युवाओं को प्रभावित करता है। इसमें, शरीर के कुछ अंगों में संक्रमण होता है और जोड़ों में दर्द, सूजन और अक्षमता होती है।
- लुपस एरिथेमेटोसस: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण होता है, जिससे जोड़ों में भी संक्रमण हो सकता है। इसमें, जोड़ों में दर्द, सूजन, स्थूलता और रगड़ने की समस्याएं हो सकती हैं।
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अर्थराइटिस में हल्दी के फायदे
हल्दी अर्थराइटिस के इलाज में एक प्राकृतिक उपाय हो सकती है। हल्दी में “कर्कुमिन” नाम का एक प्रभावी एंटी-ऑक्सिडेंट होता है, जो शरीर में संयुक्त रूप से दर्द को कम करने वाले तत्वों का उत्पादन करता है।
हल्दी में अन्य औषधीय गुणों की मौजूदगी भी होती है जो इन्फ्लेमेशन को कम करने और अर्थराइटिस से जुड़े अन्य लक्षणों को भी दूर करने में मदद करते हैं। हल्दी को अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि खाने में शामिल करके, दूध में मिलाकर या अर्थराइटिस वाली जोड़ पर मलगाकर।
हालांकि, अधिक मात्रा में हल्दी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है क्योंकि हल्दी एलर्जी या अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्ट कर सकती है। इसके अलावा, अर्थराइटिस वालों को डॉक्टर की सलाह पर दवाओं और अन्य उपचार का भी उपयोग करना चाहिए।
अर्थराइटिस में लहसुन के फायदे
लहसुन अर्थराइटिस में एक उपयोगी घरेलू उपचार हो सकता है। इसमें मौजूद “अल्लीन” नाम का एक उपचारी तत्व होता है, जो शरीर में संयुक्त रूप से दर्द को कम करने वाले तत्वों का उत्पादन करता है।
लहसुन एक शक्तिशाली एंटी-इन्फ्लेमेट्री और एंटी-ऑक्सिडेंट भी होता है जो शरीर को संबंधित संक्रमण और अन्य इंफ्लेमेशन से बचाने में मदद करते हैं। लहसुन को अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि खाने में शामिल करके या दूध में मिलाकर।
हालांकि, लहसुन उच्च रक्तचाप वाले लोगों द्वारा सेवन किया जाना नहीं चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप को और अधिक बढ़ा सकता है। इसके अलावा, लहसुन का सेवन बहुत अधिक मात्रा में लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से भी अनुचित प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।
नियमित व्यायाम अवश्य करें
अर्थराइटिस में व्यायाम करना जरूरी होता है। व्यायाम से आपकी जोड़ों की सुविधा बढ़ती है और आपके शरीर की संभावित गतिरोध को कम करता है। व्यायाम करने से आपके शरीर में जोड़ों और मांसपेशियों की तंगी कम होती है जो आपको दर्द से राहत दिलाती है।
हालांकि, अर्थराइटिस में व्यायाम करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए क्योंकि विभिन्न प्रकार की अर्थराइटिस होती है और सभी व्यायाम उपयोगी नहीं होते हैं। डॉक्टर आपके लिए सबसे अच्छा व्यायाम चुनेंगे जो आपकी स्थिति के अनुसार होता है।
व्यायाम करने से पहले आपको सही तरीके से वार्म अप करना चाहिए और व्यायाम करते समय जोड़ों के दबाव को बढ़ाने वाले व्यायाम से बचना चाहिए। धीरे-धीरे व्यायाम करना चाहिए और अधिक तनाव वाले व्यायामों से बचना चाहिए। व्यायाम से पहले और बाद में थोड़ा सा विश्राम करना चाहिए जो आपकी शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित रखेगा और आपके शरीर के लिए ठंडे पानी का सेवन करना भी फायदेमंद होगा।
अदरक के तेल से मालिश है फायदेमंद
अदरक के तेल का उपयोग अर्थराइटिस जैसी जोड़ों की दर्द की समस्या को कम करने में किया जाता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में आयरन और कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देते हैं और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
अदरक के तेल को जोड़ों पर मालिश करने से पहले, उसे हल्के गर्म होने के लिए रखा जा सकता है। फिर उसे जोड़ों पर लगाया जा सकता है और मालिश की जा सकती है। आप इसे एक दिन में दो या तीन बार लगा सकते हैं।
इस तरह की मालिश से पहले अगर आप अदरक के तेल को थोड़ा सा गर्म करके लगाते हैं तो इससे आपको अधिक आराम मिलेगा।