क्या मोतियाबिंद के ऑपरेशन से हमारी आँख बिलकुल ठीक हो जाती है?

मोतियाबिंद एक आम समस्या है जो आँख के किसी भी अंग की नरम ऊतकों में से एक की गांठ होने के कारण उत्पन्न होती है। इस समस्या का सबसे सामान्य उपचार ऑपरेशन है, जो गांठ को निकाल देता है। लेकिन, क्या मोतियाबिंद के ऑपरेशन से हमारी आँख बिलकुल ठीक हो जाती है? इस सवाल का जवाब देने से पहले, हमें इस समस्या के बारे में और उसके उपचार के विकल्पों के बारे में विस्तार से जानने की जरूरत होगी।

motiyabind ka ilaaj

मोतियाबिंद का कारण और लक्षण

कारण: मोतियाबिंद का मुख्य कारण यह होता है कि आँख के अंदर के लेंस में पानी का जमाव होता है जो उसे मोटा करता है। इसके अलावा निम्नलिखित कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं:

  1. उम्र बढ़ना: मोतियाबिंद के विकास का सबसे मुख्य कारण यह होता है कि लेंस में आवेदन के साथ साथ उम्र बढ़ने के कारण जमा होते हुए जमा होते हुए नमी के साथ बढ़ जाता है।
  2. विरल अनुसंधानों का कारण: अनुसंधानों में विरलता का बढ़ना मोतियाबिंद का कारण हो सकता है।
  3. आंखों की बीमारियों से प्रभावित होना: कुछ आंखों की बीमारियों जैसे शरीर में शुगर के रोग, हाइपरटेंशन और अण्डकोष में समस्याएं मोतियाबिंद के विकास में भी प्रभाव डाल सकती हैं।

लक्षण: मोतियाबिंद के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • धुंधली दृष्टि: आँख के अंदर लेंस का विकास आँख की दृष्टि में उतार-चढ़ाव को कम करता है जो आँख को धुंधला बनाता है।
  • आंखों की सुस्ती: मोतियाबिंद के विकास से आंखों में सुस्ती आ सकती है जिससे लगातार चश्मे पहनने की आवश्यकता हो सकती है।
  • आंखों में असहज झपकना: आंखों में मोतियाबिंद के विकास से आंखों में असहज झपकना भी हो सकता है।
  • रोशनी कम होना: मोतियाबिंद के विकास से रोशनी कम हो सकती है जिससे दिनभर में आंखों में कमजोरी आती है।
  • नींद में आंखें खुली रहना: मोतियाबिंद से पीड़ित व्यक्ति को नींद में आंखें खुली रखने की समस्या हो सकती है।
  • रंगों को अस्पष्ट देखना: मोतियाबिंद से पीड़ित व्यक्ति रंगों को अस्पष्ट देख सकता है।

इसे भी पढ़ें – आँखों की रौशनी घटने के मुख्य कारण, क्या है उपाय?

मोतियाबिंद का उपचार

मोतियाबिंद के उपचार के लिए, सबसे सामान्य विकल्प है ऑपरेशन। इसमें, एक छोटी सी टुकड़ी को निकाल दिया जाता है जो गांठ का हिस्सा होती है। यह ऑपरेशन स्थानीय बेहोशी के दौरान किया जाता है और आमतौर पर 15-20 मिनट से कम समय में पूरा हो जाता है। इसके बाद, रोगी को कुछ समय के लिए आँख के स्थानीय दवाओं की आवश्यकता होती है जो इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं।

इस ऑपरेशन के बाद, रोगी को कुछ समय तक आँख के चारों ओर सूखाव नहीं देना चाहिए। वह एक प्रतिबंधित समय तक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए और भारी वजन नहीं उठाना चाहिए। अगले दिन, रोगी को आँखों को धुले और आँखों को मलखाने की अनुमति दी जाती है।

मोतियाबिंद ऑपरेशन के फायदे और नुकसान

इस ऑपरेशन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मोतियाबिंद के रोगी के लिए असाधारण तरीके से उपचार करता है। इसमें, रोगी को सुरक्षित ढंग से गांठ को निकालने में मदद मिलती है जो उन्हें उस गांठ के कारण से दिखाई देने वाली धुंधलापन या कमजोर दृष्टि से निजात दिलाती है।

इसके अलावा, इस ऑपरेशन का अन्य फायदे निम्नलिखित हैं:

  1. बहुत कम समय में पूरा होने के कारण, इस ऑपरेशन के बाद रोगी को बहुत कम समय तक हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता होती है।
  2. यह ऑपरेशन एक स्थानीय ऑपरेशन होता है, जिसका अर्थ है कि रोगी को सामान्य बेहोशी के दौरान बहुत कम अनुभव करना पड़ता है।
  3. यह ऑपरेशन सुरक्षित होता है और रोगी के द्वारा की जाने वाली समय तक कार्यों को प्रभावित नहीं करता है।

मोतियाबिंद ऑपरेशन आँख की समस्याओं का एक चरम रूप होता है। यह उपचार सामान्य तौर पर बढ़ते हुए मोती को निकालने के लिए किया जाता है जो आँख की दृष्टि में उतार-चढ़ाव को कम करते हैं। इस तरह के ऑपरेशन को आमतौर पर संचालित किया जाता है और इससे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।

  1. आंख के संक्रमण का खतरा: मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान, आंख के अंदर की कोई भी संक्रमण उत्पन्न हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है जो इलाज की आवश्यकता हो सकती है।
  2. आंख के अंदर संकेतों का उत्पन्न होना: मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान आंख के अंदर के संकेतों का उत्पन्न होना भी संभव है। इसमें आंख में लालिमा, सुषिरता, सूजन आदि शामिल हो सकती हैं।
  3. दृष्टि कमजोरी: मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद, दृष्टि कमजोर हो सकती है। यह अस्थायी समस्या होती है जो समय के साथ ठीक हो जाती है।
  4. दृष्टि संबंधी समस्याएं: मोतियाबिंद के ऑपरेशन से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। जब आँख के अंदर के तंत्र में हानि होती है, तो दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें आंख की दृष्टि में अंधापन, उदासीनता, विस्फोटक दर्द, लगातार झुकाव आदि शामिल हो सकते हैं।
  5. आंख के रंग का परिवर्तन: मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद, आंख के रंग में परिवर्तन भी हो सकता है। इसमें आंख का रंग गहरा हो सकता है या फिर आंख का रंग हल्का हो सकता है।
  6. सूखी आंख का समस्याएं: मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद, सूखी आंख की समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या आमतौर पर उन लोगों में देखी जाती है जो पहले से ही सूखी आंखों की समस्या से पीड़ित होते हैं।

निष्कर्ष

मोतियाबिंद के ऑपरेशन से आमतौर पर बहुत से लोगों की आँखें ठीक हो जाती हैं। मोतियाबिंद एक ऐसी समस्या है जो आँख के पीछे स्थित नसों की एक गांठ होती है। इस ऑपरेशन में, एक छोटी सी उपकरण के माध्यम से आँख के आगे की ऊतक निकाल दी जाती है और फिर उस जगह पर एक नया लेंस (मोतियाबिंद) लगाया जाता है।

इस ऑपरेशन के बाद, अधिकांश मरीजों की आँख ठीक हो जाती है, लेकिन इसमें कुछ रिस्क भी होते हैं। कुछ मरीजों को ऑपरेशन के बाद भी आँख के समस्याएं रह सकती हैं और उन्हें अतिरिक्त चिकित्सा की जरूरत हो सकती है। इसलिए, मोतियाबिंद के ऑपरेशन से पहले, आपको अपने चिकित्सक से पूरी जांच करवानी चाहिए और आपकी समस्या के अनुसार सही उपचार के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

Leave a Comment