भारत में बच्चों की निमोनिया एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है। निमोनिया एक ऐसी समस्या है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है और जो जीवाणुओं, वायरस या फंगल संक्रमण से होती है। निमोनिया के लक्षणों में बुखार, सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, गंभीर खांसी, उच्च तापमान और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द शामिल होते हैं।
भारत में निमोनिया के मामलों की संख्या बहुत अधिक है, खासतौर पर बच्चों में। अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 500,000 से अधिक बच्चों को निमोनिया होती है। इससे ज्यादातर मामलों में, बच्चों की उम्र 5 साल से कम होती है।
निमोनिया से बचाव के लिए, बच्चों को स्वस्थ खानपान, साफ़ पानी और स्वच्छता की अधिक महत्व देना चाहिए। बच्चों के लिए टीकाकरण भी निमोनिया से बचाव में मदद कर सकते हैं।

क्या है बच्चों में निमोनिया के लक्षण?
बच्चों में निमोनिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में इसके कुछ सामान्य लक्षण होते हैं। निमोनिया के लक्षण दर वर्ष बदल सकते हैं, लेकिन यह आमतौर पर तेजी से उभरते हैं।
कुछ सामान्य निमोनिया के लक्षण निम्नलिखित हैं:
- उच्च तापमान: बच्चों में निमोनिया के मामलों में उच्च तापमान का बढ़ जाना एक आम लक्षण होता है। बच्चे का तापमान बढ़ने के साथ-साथ बुखार भी हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ होना: निमोनिया से पीड़ित बच्चों में सांस लेने में दिक्कत होती है। वे श्वसन के लिए ज़ोर लगाने की कोशिश करते हैं और सांस लेने में तकलीफ महसूस करते हैं।
- खांसी: निमोनिया के मामलों में गंभीर खांसी का भी एक लक्षण होता है। इस खांसी में गले में खराश और खांसी से पहले एक चीख निकलने का एक अनुभव होता है।
- गले में खराश: बच्चों में निमोनिया के मामलों में गले में खराश होती है। यह खराश गले में दर्द के साथ साथ होती है जो बच्चे को खाने पीने में तकलीफ पहुंचा सकती है।
- थकान: निमोनिया से पीड़ित बच्चों में थकान का अनुभव होता है। वे आमतौर पर अपनी दैनिक गतिविधियों में निष्क्रिय हो जाते हैं और अधिक सोने की इच्छा होती है।
- उल्टी और पेट दर्द: कुछ निमोनिया के मामलों में बच्चों को उल्टी और पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है।
ये लक्षण बच्चों में निमोनिया के होने पर हो सकते हैं, लेकिन यदि आपका बच्चा किसी ऐसी समस्या से ग्रस्त होता है, तो आपको उन्हें एक अनुभवी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
बच्चों में निमोनिया होने के कारण
बच्चों में निमोनिया के कई कारण हो सकते हैं, जो निमोनिया के विभिन्न प्रकारों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
निमोनिया के सामान्य कारणों में शामिल हैं:
- अस्थमा और अन्य श्वसन विकार: अस्थमा जैसी श्वसन विकारों वाले बच्चों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
- बच्चों का शरीर कमजोर होना: शरीर की कमजोरी, खाने की अपेक्षित मात्रा से कम खाना या विटामिन और पोषण की कमी वाले बच्चों को भी निमोनिया के जोखिम में रहना पड़ता है।
- संक्रमण: बच्चों को कुछ वायरस, बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण भी निमोनिया के कारण हो सकते हैं।
- धूम्रपान या धुआं से संक्रमण: बच्चों को अपने घर में या अपने परिवार के साथियों के धूम्रपान से भी निमोनिया हो सकता है।
- प्रदूषण: प्रदूषण भी बच्चों में निमोनिया के कारणों में से एक है। वायु में उद्दूषक तत्वों के मौजूद होने से बच्चों को निमोनिया हो सकता है।
- इम्यून सिस्टम की कमी: बच्चों में इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिसके कारण उन्हें संक्रमणों से लड़ने की क्षमता में कमी होती है। इसलिए, इम्यून सिस्टम की कमजोरी वाले बच्चों को निमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है।
यह जानना जरूरी होता है कि बच्चों में निमोनिया के कारण विभिन्न होते हैं और अधिकतर संक्रमण द्वारा होते हैं। अगर बच्चे के श्वसन मार्ग में किसी भी तरह की समस्या हो या बच्चा कमजोर हो, तो निमोनिया के जोखिम से बचने के लिए संक्रमण से बचाव के उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है।
बच्चों में निमोनिया के उपचार
निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में जल्दी ही उपचार किया जाना चाहिए। अगर आपके बच्चे को निमोनिया हो जाता है तो उपचार के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- डॉक्टर से संपर्क करें: यदि आपका बच्चा निमोनिया से पीड़ित है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। डॉक्टर आपके बच्चे की स्थिति को निरीक्षण करेंगे और उपचार की सलाह देंगे।
- दवाओं का सेवन करें: डॉक्टर आपके बच्चे के लिए उचित दवा लेने की सलाह देंगे। ये दवाएं आमतौर पर निमोनिया के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। डॉक्टर आपको उचित दवाओं की खुराक बताएगा। आपको अपने बच्चे को दवाओं की खुराक का ध्यान रखना चाहिए।
- शरीर को आराम दें: बच्चों को निमोनिया होने पर अधिक आराम देना चाहिए। बच्चों को स्नायुग्रहण के समय ज्यादा से ज्यादा आराम की आवश्यकता होती है।
- शरीर के तापमान को नियंत्रित करें: निमोनिया से पीड़ित बच्चों को उच्च तापमान हो सकता है, इसलिए उनका तापमान नियमित रूप से नियंत्रित करना आवश्यक होता है। आप अपने बच्चे के तापमान को नियमित अंतरालों पर जांच सकते हैं और तापमान कम करने के लिए शरीर को सिकाई या ठंडा पानी देने के लिए तैयार रहें।
बच्चों में निमोनिया के प्रकार
बच्चों में निमोनिया के कई प्रकार होते हैं। निमोनिया एक बड़ी संक्रमण रोग है जो बच्चों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
- वायरल निमोनिया: इस प्रकार की निमोनिया बच्चों में सबसे आम होती है। यह संक्रमण वायरस से होता है जो बच्चों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस तरह की निमोनिया का इलाज आमतौर पर अधिकतम आराम देने वाले और दवाईयों का प्रयोग करने वाले चिकित्सक द्वारा किया जाता है।
- बैक्टीरियल निमोनिया: यह निमोनिया बच्चों के लिए बहुत खतरनाक होती है। इसके कारण बैक्टीरिया होते हैं, जो बच्चों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इसका इलाज दवाओं और अन्य चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से किया जाता है।
- एचआईवी संबंधी निमोनिया: एचआईवी संक्रमण वाले बच्चों में यह प्रकार की निमोनिया होती है। इसका इलाज एचआईवी के इलाज के साथ साथ एंटीबायोटिक दवाओं का भी प्रयोग किया जाता है।
- फंगल निमोनिया: इस प्रकार की निमोनिया बच्चों में बहुत कम होती है। यह संक्रमण फंगल संग्रहण से होता है जो बच्चों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसका इलाज अन्य दवाओं के साथ एंटीफंगल दवाओं का भी प्रयोग किया जाता है।
- अतिरिक्त रक्तदाह सिंड्रोम से ग्रसित निमोनिया: यह निमोनिया बच्चों के लिए बहुत असामान्य होती है। इस प्रकार की निमोनिया बार-बार बच्चों को उत्तेजित करती है जो उनके श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसका इलाज रक्तदाह के कारणों का संशोधन और अन्य चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से किया जाता है।